इस डिजिटल युग के दौर में ज़रूरी है कि अपने बच्चे का पालन-पोषण डिजिटल माहौल में किया जाए, ताकि उसका संपूर्ण विकास हो. क्योंकि आनेवाले दिनों में उसकी ज़िंदगी का ज़्यादातर हिस्सा किसी न किसी रूप में तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए बीतेगा. इसी सोच ने ‘डिजिटल अभिभावक’ की परिकल्पना को जन्म दिया, जिसका अर्थ होता है वे अभिभावक जो अपने बच्चों को इस तरह प्रशिक्षित करते हैं कि इस तेज़ी से बदलते हुए तकनीकी दौर में जीने के लिए वे अपने आप को तैयार कर सकें. इससे यह सुनिश्चित होता है कि बच्चे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में तकनीकी का इस्तेमाल करने में काफ़ी सहज और कुशल हो जाते हैं.
अब आप जान गए हैं कि डिजिटल अभिभावक कौन होते हैं, तो आइए, जानते हैं कि आप किस तरह से डिजिटल अभिभावक बन सकते हैं.
1. डिजिटल दुनिया के बारे में जानें
डिजिटल अभिभावक बनने के लिए सबसे पहला क़दम यह है कि नवीनतम तकनीकी विकास के बारे में ज्ञान हासिल करते हैं और उसकी हर एक जानकारी रखें, ताकि आप अपने बच्चों को सिखा सकें कि डिजिटल दुनिया से किस तरह जुड़े रहें. द हिंदू समाचारपत्र में डिजिटल पैरेंटिंग के बारे में छपे एक लेख में कहा गया है कि अभिभावकों की अच्छी-ख़ासी तादाद यह मानती है कि इंटरनेट पर ऑनलाइन और कंप्यूटर पर बच्चों की निगरानी रखना बहुत ही चुनौती भरा काम है, क्योंकि इनकी कार्यप्रणाली उनकी समझ में कम आती है. इन परिस्थितियों में, तकनीकी मामलों में आगे रहने के लिए जानकारी हासिल करते रहना बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है.
2. अपने बच्चों में उन मूल्यों का संचार करें जो ऑफ़लाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी लागू हों
इंटरनेट ने एक ऐसा मैदान बना दिया है, जहाँ बच्चों से बारबार कहना पड़ता है कि अपना व्यवहार संयमित रखें और सावधान रहें. इनमें एक बहुत ही ख़तरनाक व्यवहार है सायबर बुलिइंग यानी सायबर पर दी जानेवाली धमकियाँ और धौंस. सिंगापोर की मीडिया साक्षरता काउंसिल के अनुसार, यह बहुत ज़रूरी है कि अभिभावक अपने बच्चों के लिए ‘नैतिक कोच’ की भूमिका निभाएँ, ताकि आपका बच्चा सायबर बुलिइंग या क्रूर और अनैतिक ऑनलाइन व्यवहार का शिकार न बने.
3. बच्चों की गोपनीयता का उल्लंघन करे बिना उनके कंप्यूटर के ऐक्सेस की निगरानी रखें.
सभी ऐक्सेस का इस तरह से निरीक्षण और निगरानी रखनी चाहिए कि उसमें आपकी भूमिका बहुत ही सहज और स्वाभाविक हो. ऐसे सॉफ़्टवेयर की भरमार है, जिसकी मदद से आप उनके उपकरणों पर पैरेंटल ऐक्सेस नियंत्रण रख सकते हैं. इससे आपको सही-सही पता चल जाता है कि आपके बच्चे किस तरह से अपने उपकरणों और इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. अपने कंप्यूटर और वाई-फ़ाई में पासवर्ड डालकर रखें, ताकि आप उनका ऐक्सेस नियंत्रित कर सकें. कंप्यूटर घर में ऐसी जगह पर रखें जिस पर सबकी नज़र हो, ताकि बच्चा आपसे छुपकर इसका इस्तेमाल न करे.
डिजिटल दुनिया अभिभावकों को बच्चों के साथ सीखने, खेलने और उनके साथ रिश्ता क़ायम करने का मौक़ा देती है. कंप्यूटर अपनाने का यह सही समय है, जिससे आपके बच्चों को भरपूर फ़ायदा होगा. डिजिटल अभिभावक बनने की प्रक्रिया बुनियादी तौर पर यह सुनिश्चित करती है कि आपके बच्चे ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों स्तरों पर एक ज़िम्मेदार वयस्क बनें.
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